UPS बनाम NPS: सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन विकल्प - कौन सा है बेहतर?

इस साल जनवरी में, मोदी सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को अधिसूचित किया था। अब इसे 1 अप्रैल 2026 से लागू करने की तैयारी है। यह स्कीम नई और पुरानी पेंशन योजनाओं का मिश्रण है और इसका उद्देश्य रिटायर्ड कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन प्रदान करना है।

👉 UPS बनाम NPS: अंतर क्या है? UPS का लक्ष्य एक निश्चित पेंशन राशि, पारिवारिक पेंशन, न्यूनतम पेंशन और मुद्रास्फीति-समायोजित ग्रेच्युटी के साथ एकमुश्त भुगतान प्रदान करना है। वहीं, NPS में रिटर्न बाजार आधारित होते हैं और इसमें जोखिम भी अधिक होता है।

💼 किसे मिलेगा UPS का लाभ? यह योजना उन केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगी जो 1 जनवरी 2004 से पहले सेवा में आए हैं। UPS, मौजूदा पेंशन योजनाओं से अलग है क्योंकि इसमें निश्चित बेनिफिट्स और योगदान का एलिमेंट शामिल है। यह योजना बाजार के उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करती है।

💰 ग्रेच्युटी का फॉर्मूला: UPS के तहत, हर छह महीने की सेवा पर सेवानिवृत्ति की तारीख पर मासिक वेतन का 1/10वां हिस्सा ग्रेच्युटी के रूप में मिलता है। इसके अलावा एकमुश्त भुगतान भी दिया जाता है।

📉 रिटर्न का विश्लेषण: 1 अप्रैल 2025 से केंद्रीय कर्मचारियों को NPS और UPS के बीच चयन करना होगा। UPS गारंटीड पेंशन देता है जबकि NPS में निवेश बाजार आधारित रिटर्न प्रदान करता है।

✔ UPS की विशेषताएँ:

  • गारंटीड पेंशन: अंतिम 12 महीनों के औसत वेतन का 50%
  • सरकार का योगदान: मूल वेतन और डीए का 18.5%
  • कर्मचारी का योगदान: 10%
  • न्यूनतम जोखिम: मुख्यतः सरकारी बॉन्ड में निवेश

✔ NPS की विशेषताएँ:

  • बाजार आधारित रिटर्न
  • उच्च जोखिम, उच्च रिटर्न
  • 40% राशि से एन्युटी, 60% एकमुश्त निकासी
  • सरकार का योगदान: 14%

🧮 उदाहरण: 25 वर्ष की आयु में नौकरी शुरू करने वाले और 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने वाले व्यक्ति को UPS में ₹90,000 मंथली पेंशन मिल सकती है। वहीं, NPS में 9% वार्षिक रिटर्न मानें तो 35 वर्षों में निवेश ₹70.6 लाख हो सकता है, जो ₹3.79 करोड़ का रिटर्न दे सकता है।

🎯 अंतिम निर्णय: यदि आप जोखिम से बचना चाहते हैं और गारंटीड पेंशन चाहते हैं, तो UPS बेहतर विकल्प है। वहीं, उच्च रिटर्न की चाह रखने वालों के लिए NPS उपयुक्त है।